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गुरुवार, 3 सितंबर 2009

है कौन कर रहा प्रलय गान....

है कौन कर रहा प्रलय गान
भय-ग्रसित हो गए तरु के गात
हो शिथिल झर रहे उसके पात
सकुचे सहमें तरु के पंछी,गिर गिर कर तजनें लगे प्राण
है कौन कर रहा प्रलय गान
अविचल सुमेरु भी विकल हुये
झरनों के स्वर भी मंद हुये
स्तब्ध हुआ चंचल समीर,खो बैठा अपना दिशा ज्ञान
है कौन कर रहा प्रलय गान
यह काल-प्रबल का अमिट लेख
जीवन ललाट पर लिखा देख
रोकेगा इसको कौन यहाँ,हर क्षय में यह अस्तित्ववान
है कौन कर रहा प्रलय गान
vikram

10 टिप्‍पणियां:

  1. है कौन कर रहा प्रलय गान
    अविचल सुमेरु भी विकल हुये
    झरनों के स्वर भी मंद हुये
    स्तब्ध हुआ चंचल समीर,खो बैठा अपना दिशा ज्ञान

    -लाजबाब-बहुत उम्दा!!

    जवाब देंहटाएं
  2. भय-ग्रसित हो गए तरु के गात
    हो शिथिल झर रहे उसके पात
    बेहतरीन भाव की यह रचना ---
    विसंगतियो को संग लेकर चलने की मानव प्रकृति समूल विनाश की ओर ही ले जा रही है
    शायद यह प्रलय गान है ----

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत ही सुंदर भाव और अभिव्यक्ति के साथ लिखी हुई आपकी ये शानदार रचना काबिले तारीफ है!

    जवाब देंहटाएं
  4. है कौन कर रहा यह प्रलय - गान...
    विनाश की ओर बढती सृष्टि से चिंतित बहुत उम्दा भावों से युक्त कविता ...बहुत शुभकामनायें ..!!

    जवाब देंहटाएं
  5. अविचल सुमेरु भी विकल हुये
    झरनों के स्वर भी मंद हुये
    स्तब्ध हुआ चंचल समीर,खो बैठा अपना दिशा ज्ञान
    waah behad khubsurat

    जवाब देंहटाएं
  6. अविचल सुमेरु भी विकल हुये
    झरनों के स्वर भी मंद हुये
    स्तब्ध हुआ चंचल समीर,
    खो बैठा अपना दिशा ज्ञान

    बहुत ही सुंदर भाव और अभिव्यक्ति के साथ लिखी हुई आपकी ये शानदार रचना काबिले तारीफ है!

    हार्दिक आभार.
    चन्द्र मोहन गुप्त
    जयपुर
    www.cmgupta.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत ही सुंदर भाव और अभिव्यक्ति है. ...शानदार

    जवाब देंहटाएं
  8. यह काल-प्रबल का अमिट लेख
    जीवन ललाट पर लिखा देख
    रोकेगा इसको कौन यहाँ,हर क्षय में यह अस्तित्ववान
    है कौन कर रहा प्रलय गान
    बहुत सुन्दर और सत्य अभिव्यक्ति के लिये बहुत बहुत बधाई। काल की लकीरों को कोई लाँघ नहीं सकता

    जवाब देंहटाएं
  9. स्तब्ध हुआ चंचल समीर,खो बैठा अपना दिशा ज्ञान
    है कौन कर रहा प्रलय गान
    यह काल-प्रबल का अमिट लेख
    जीवन ललाट पर लिखा देख
    रोकेगा इसको कौन यहाँ,हर क्षय में यह अस्तित्ववान
    है कौन कर रहा प्रलय गान.....

    bahut hi sunder ......... shabdon se baandh ke rakha aappne.....

    जवाब देंहटाएं
  10. अविचल सुमेरु भी विकल हुये
    झरनों के स्वर भी मंद हुये
    स्तब्ध हुआ चंचल समीर...

    Waah! waah! ati sundar!

    जवाब देंहटाएं