साथी दूर विहान हो रहा
रवि रजनी का कर आलिंगन
अधरों को दे क्षण भर बन्धन
कर पूरी लालसा प्रणय की, मंद-मंद मृदु गान कर रहा
साथी दूर विहान हो रहा
अपना सब कुछ आज लुटाकर
तृप्ति हुयी यौवन सुख पाकर
शरमाई रजनी से रवि को, प्रेम भरा प्रतिदान मिल रहा
साथी दूर विहान हो रहा
रजनी पार क्षितिज के जाती
आँखों से आँसू छलकाती
झरते आँसू पोछ किरण से, रवि रजनी का मान रख रहा
साथी दूर विहान हो रहा
अन्ना निश्चय कर लें, वह क्या चाहते हैं!
विक्रम सिंह Sunday April 08, 2012ये पोस्ट भी पढ़ें
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ब्लॉगर dheerendra ने कहा…
विक्रम जी,...मैंने आपके लेख को अच्छी तरह से पढ़ा और सभी टिप्पणियों को जबाब सवाल पढे,पढकर इस निष्कर्ष में पहुचा,कि आपके आलेख को लोग ठीक तरह से नही समझ सके,उसमे सोनियाजी और कांग्रेस कहाँ से आ गई,अन्ना जी ने शुरू में गांधीगीरी के नक्से कदम पर जो शुरुआत की
वह तारीफे काबिल था,किन्तु जैसे२ अन्ना जी के साथ "मुह में राम बगल में छूरी"स्वभाव वाले लोग जुड़ते चले गए,तबसे उनके मिशन में ठहराव सा दिखने लगा,उसका उदाहरण दिल्ली के अनसन में लाखों लोग शामिल हुए थे,वही बाद के मुंबई के अनशन २० हजार लोग भी नही जुड पाए,एक ताजा उदाहरण,लोकपाल बिल पर मुलायम सिंह ने सदन में खुले आम विरोध किया था,अन्नाजी ने लोकपाल के विरोधियों को वोट न देने की अपील की थी,इसके वावजूद मुलायम सिग की सरकार पुर्ण बहुमत से बन गई
इसी तरह से उतरांचल भाजपा ने अन्ना जी के मुताबिक़ बिल पास कर दिया,तो वहाँ भाजापा की
सरकार बदलकर कांग्रेस की सरकार बन गई,..
इससे साफ़ जाहिर होता है,कि अन्ना की बातों को लोगों ने तरहीज देना कम कर दिया है,..
जहां तक मेरा मानना है,भ्रष्टाचार कभी समाप्त नही हो सकता,जबतक आम आदमी नही बदलेगा,
अन्ना जी को चाहिए,अपनी बात आम आदमी तक पहुचाए,उनकी मानसिकता बदले,क़ानून बन जाने से भ्रष्टाचार समाप्त हो जाएगा,अगर ऐसा होता तो,हत्या,बलात्कार,चोरी,डकैती,न होती,..
भ्रस्टाचार समाप्त करना है तो समर्पित भाव से हम आप सभी को संकल्प लेना होगा,..नही तो अन्ना जी अनशन करते रहेगें,माध्यम वर्ग के भ्रष्टाचारी लोग अनशन की भीड़ बढाते रहेगें,...
11 अप्रैल 2012 12:01 pm
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५- अन्ना बिरोधी देश का सबसे बडा भॄस्टाचारी !
६- अन्ना बिरोधी अपनी मॉ और बी बी को एक नजर से देख सकता है !
७- अन्ना बिरोधी को इस देश का अन्न जल खाना पीना गो मॉस के बराबर है !
८- अन्ना बिरोधी ही आज तक नही जान पाये कि अन्ना चाहते क्या उनका मकसद क्या है !
९- अन्ना को भृस्टाचारी कभी नही समझ पायेगा !
१०-अन्ना निस्वाथँ भाव से देश की सेवा करने वाला एक सच्चा देश भक्त !
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-->26.12.2008 की शुरुआत से आज तक आपसे सिर्फ़ 64 लोग ही जुड़े (कुछ चेहरे तो परिवार, पहचान वालो के भी होंगे) ?? आपकी नज़रो मे ये बहुत बड़ी संख्या होगी मेरे लिए नही ...सड़क के किनारे मदारी भी डुगडुगी बजा कर सेकड़ो की भीड़ कुछ मिंटो मे इकट्ठी कर लेता है आप तीन साल से ज़यादा समय मे (चार साल अभी भी नही हुए है) भी वाहा तक नही पहुँच पाए
-->आपको विषयो पर ब्लॉग लिखते नही पाया जहा पाठक कुछ डिस्कसन करते लगे हो
-->कुछ मौको पर आप अपने परिजनो (जीजाजी,भतीजो) के बारे मे अपडेट देते दिखे , अब इसमे ब्लॉग जैसा क्या था मुझको समझ नही आया
मेरा इरादा ठेस पहुँचाने का नही है पर बात को उसी रूप मे कहने की आदत के चलते अगर मेरे शब्दो से कष्ट हुआ हो तो माफी चाहता हू ...धन्यवाद
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अन्ना जी का मकसद मुझे सही लगता है, तरीकों पर थोड़ी बहुत मुश्किल है. पर जो कर रहे हैं, अगर मैं उनका साथ नहीं दे सकता, तो अभी उनके खिलाफ भी बोलने से बचता रहता हूँ.
थोड़े दिन पहले की ही बात है, उत्तर प्रदेश से एक न्यूज़ आई थी. ये न्यूज़ समाज कल्याण विभाग का भ्रष्टाचार उछगार करने वाले एक जुझारू ईमानदार अफ़सर रिंकू सिंह राही के बारे मे थी.
सरकार द्वारा जारी करोड़ो की छात्रवृत्ति को, जो दलित-पिछड़े समुदाय के छात्रों के लिए आई थी, को प्राइवेट कॉलेज हजम कर रहे थे और साथ मे चात्रो से भी फीस ले रहे थे. समाज कल्याण विभाग इसमे शामिल था. आज के अख़बार मे भी खबर है की 700 करोड़ का घोटाला हुआ.
जब रिंकू सिंह राही ने इसके खिलाफ जानकारी जुटानी चाही तो विभाग के भ्रष्ट लोगों और कॉलेज माफिया ने मिलकर उनमे छः गोलिया उतार दी, जिंदगी मौत से लड़ते हुए भी उन्होने भ्रष्टाचार के खिलाफ अनशन किया.
लेकिन कमाल है, भ्रष्टाचार के खिलाफ अपपनी जिंदगी सही मे दाँव पर लगाने वाले के साथ मुट्ठी भर ही लोग आए? अन्ना जी की टीम और उनके समर्थकों का समर्थन रिंकू सिंह जैसे जाँबाज को क्यों नहीं मिला? मीडिया ने उनके साथ वो सब क्यो नहीं किया जो अन्ना जी के साथ करती है?
बात जब दलित पिछड़े समाज के लुटते पैसे की थी, तो क्यों नहीं वही जज़्बा दिखाई दिया? अगर अन्ना का जोश और रिंकू की जाँबाज़ी मिल जाते तो क्या आंदोलन मजबूतनहीँ होता?
कुछ दिन पहले केजरीवाल जे0एन0यू0 गये, वहाँ उनसे कमजोर वर्गो पर उनकी राय पूछी गया, लेकिन दुर्भाग्य वश वो वहाँ से बच निकले, पर जवाब देना उचित नहीं समझा.
ये कुछ बातें हैं जो हमारे मन मे पीड़ा पैदा करती हैं, चिंता पैदा करती हैं की क्या सही मे अन्ना जी जो कर रहे हैं, उससे भ्रष्टाचार ख़त्म होगा या उसके बहाने देश को किसी अन्य व्यवस्था की और धकेलने का प्रयास तो नहीं किया जा रहा, जहाँ संविधान की भी न चले? वैसे कमजोर वर्गो के पास संविधान द्वारा दिए गये अधिकारों (कोई स्पेशल अधिकार नहीं, बल्कि इंसान होने का अधिकार) के अलावा है ही क्या?
पर मैं इतना स्वार्थी भी नहीं, जब तक अन्ना टीम अपनी राय स्पष्ट नहीं बता देती और हर समाज के हितो को ध्यान मे रखकर कार्य करती है, मैं इनका समर्थन करता रहूँगा,
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इस ब्लॉग से पहले "अपना ब्लॉग" मे कुल ब्लॉग --> 14
14 ब्लॉग्स मे कुल मिले कॉमेंट्स --> मात्र तीन (सिर्फ़ तीन)
अकेले 15 वे ब्लॉग (अन्ना निश्चय कर लें, वह क्या चाहते हैं!) मे "अब तक" मिले कॉमेंट्स -->19
<< ब्लॉगर का मिशन पब्लिसिटी पूरा हुआ...चलो छुट्टी की घंटी बज गयी है>> :))
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देश कैसे चल रहा है क्या ये भृस्ट सरकार देश चला रही है यह सरकार बनने से अब तक केवल अपनी सरकार बचाने मे ही लगी है यह सरकार केवल गठबन्धन की राजनीति करती है (इसको भारत माता के प्रबन्धन की राजनीति का ज्ञान ही नही है) इसी को सरकार चलाना कह रहे हो ! सरकार के युवराज उ०प्र० चुनाव से पहले यहॉ की सरकारौ से २० साल का हिसाब बडे जोर शोर से मॉग रहे थे अब ४० साल का हिसाब देने की बारी आयी तो कहॉ छिपकर बैठ गये किस मुह से हिसाब मॉग रहे थे ! अपनी गाड गिफ्टेड सीट से भी एक बिधायक नही जिता पाये !
काग्रेस व भॄस्ट सरकार की वकालत करने से पहले चुल्लू भर पानी लेकर उसी मे डूब मरो ! इस काग्रेस ने तारीफ करने लायक काम पिछले ६४ सालो मे नही किया है इसके दल मे जुडने से पहले १०० बार सोचो इस दल मे केवल दल-दल बचा है दुबारा जाने की चेष्टा न करै ! अन्ध भक्ति तो आप दशाँने मे लगे हो आप जो भी लिखो सोच समझ कर लिखो जिसका कोई काट नहो !
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